दशरथ के यहां कोई संतान नहीं हो रही थी। निराश होकर, गुरु वसिष्ठ से कहा। गुरु वसिष्ठ के कहने पर यज्ञ हुआ, तो राम आए। राम जी को प्रकट कराने के अन्य कई कारण हैं, अन्य कई भूमिकाएं हैं, कई लोगों को श्रेय मिलेगा, लेकिन मुख्य श्रेय गुरु वसिष्ठ को मिलेगा। ईश्वर को प्रगट होना है, तो कोई साधारण घटना नहीं होती। राम के रूप में ईश्वर प्रगट हुए, इसका एक कारण वसिष्ठ भी थे।
वसिष्ठ के काल में जितनी महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, वे रामराज्य में सहायक बनीं। एक तरह से वे रामराज्य रूपी महल के संबल थे। भरत को ऐसा राज्य नहीं चाहिए जिसमें राम न हो। मगर पिता आदेश से बंधे राम नहीं मानते।
चरण पादुका लेकर भरत आते हैं, उसी को सिंहासन पर प्रतिष्ठित करके राज्य चलाते हैं। भरत नंदीग्राम में रह कर गुरु वसिष्ठ जी से आज्ञा मांग कर राज्य का संचालन करते थे। तो अभिप्राय यह कि वसिष्ठ जी ने अपने ज्ञान-पुण्य प्रताप से रघुवंश को ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
अपने इन गुणों के कारण वशिष्ठ बने भगवान राम के गुरु
